Tuesday 9 August 2022

Saturday 18 June 2022

वीरांगना दिवस पर याद किया रानी लक्ष्मीबाई को

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 18.06.2022  को गांधी महाविद्यालय, उरई में रानी लक्ष्मीबाई शहीदी दिवस/वीरांगना दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.


इस अवसर पर बापू सभागार, गांधी महाविद्यालय, उरई में आयोजित एक गोष्ठी में रक्षा अध्ययन विभाग प्रभारी डॉ. ऋचा सिंह राठौर ने कहा कि भारतीय स्वाधीनता इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसा नाम है जो एक आदर्श रूप में, एक असल हीरो के रूप में सहज स्वीकार है. एक सामान्य से परिवार से निकल वे झाँसी की रानी बनी. वे चाहती तो सामान्य रूप से सभी सुख-सुविधाओं का लाभ लेती हुईं अपना जीवन व्यतीत कर सकती थीं मगर रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसा नहीं किया. उनके अन्दर की शक्ति, वीरता, जोश ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया. रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष को, उनके युद्ध कौशल को बहुत से लोग कम करके आँकने की कोशिश में उनके ऊपर आरोप लगाते हैं कि झाँसी पर संकट आने के बाद ही वे लड़ने को तैयार हुईं. यहाँ समझना होगा कि उस समय संकट तो सभी की रियासतों पर आया था मगर रानी लक्ष्मीबाई की तरफ सबको एकजुट करके लड़ने का साहस बहुत कम लोग जुटा सके थे. 


हिन्दी विभाग के शोधार्थी धर्मेन्द्र यादव ने रानी लक्ष्मीबाई के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी लोग उनको वीर नारी के रूप में, दुर्गा-काली जैसी शक्ति के रूप में जानते हैं मगर इसके साथ-साथ वे अत्यंत कोमल हृदय की, उदार व्यतित्व वाली महिला भी थीं. एक बार उनको ज्ञात हुआ कि झाँसी में किसी व्यक्ति के पास वस्त्र नहीं हैं तो उन्होंने महल के द्वारा उस व्यक्ति के लिए तो वस्त्रों की व्यवस्था की साथ ही सम्पूर्ण झाँसी के सभी वस्त्रहीनों को वस्त्र उपलब्ध करवाए जाने के आदेश दिए. उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सभी महिलाओं को सैन्य गतिविधियों को सीखने की व्यवस्था की.


कार्यक्रम संयोजक डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई महिला सशक्तिकरण का सबसे सशक्त उदाहरण है. उस कालखंड में जबकि महिलाओं की शिक्षा की उन्नत व्यवस्था नहीं थी, पर्दा प्रथा जैसी कुरीति चल रही थी तब उन्होंने ने केवल महिलाओं को घुड़सवारी, तलवारबाजी सिखाई बल्कि आसपास की रियासतों के पुरुष राजाओं, नवाबों को संगठित करके अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करने को प्रेरित किया.


कार्यक्रम में धर्मेन्द्र कुमार, संतोष दीक्षित, धनीराम, अमज़द आलम सहित शिवम, शुभांग, राहुल, रामकुमार, विनीता, निकिता, उपासना आदि सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे.







Friday 10 June 2022

बिरसा मुंडा शहीदी दिवस के अवसर गोष्ठी

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 09.06.2022  को गांधी महाविद्यालय, उरई में बिरसा मुंडा शहीदी दिवस के अवसर पर जन जातीय आन्दोलन के नायक के रूप में बिरसा मुंडा का योगदान विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 






 

Sunday 5 June 2022

विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम : आजादी का अमृत महोत्सव

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 05.06.2022  को गांधी महाविद्यालय, उरई में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘ऊर्जा का संरक्षण एवं प्राकृतिक स्त्रोत विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.


विश्व पर्यावरण दिवस पर उपस्थित विद्यार्थियों को रचनात्मकता के द्वारा पर्यावरण सन्देश देने के लिए बीएड. विभाग के धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने प्रेरित करते हुए कहा कि पर्यावरण हमारे लिए आज अचानक से महत्त्वपूर्ण नहीं हो गया है. इसकी महत्ता सदैव से समाज के लिए रही है. आज इसके प्रति सबको सचेत करने की आवश्यकता इसलिए समझ आ रही है क्योंकि भौतिकतावादी मानसिकता के कारण इंसान प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करने में लगा है.


विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति गंभीरता से सजग रहने के बारे में बताते हुए रंगकर्मी संतोष दीक्षित ने कहा कि हमारा रोजमर्रा का एक-एक कदम इस तरह का हो जिससे प्रकृति को नुकसान न पहुँचे. कोशिश यही रहनी चाहिए कि हम सभी जितनी आवश्यकता हो, उसी के अनुसार प्रकृति का उपभोग करें.


रंगकर्मी अमजद आलम विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी देश का, समाज का भविष्य हैं. आप लोग समाज को नुक्कड़ नाटकों, गीतों, सन्देश यात्राओं के द्वारा जागरूक कर सकते हैं. बहुत से नागरिक ऐसे हैं जो शिक्षित नहीं हैं. ऐसे में उनके लिए पढ़ना कठिन होता है मगर ये लोग भी नाटकों की, गीतों की भाषा समझ सकते हैं और पर्यावरण सन्देश को आगे बढ़ा सकते हैं.


कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक, गीत और पोस्टर निर्माण के द्वारा पर्यावरण का सन्देश सार्थकता के साथ प्रसारित किया. कार्यक्रम में संयोजक डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के साथ-साथ बीएड. विभाग प्रभारी दलवीर सिंह, भूगोल विभाग प्रभारी डॉ. देवेन्द्र नाथ, अर्थशास्त्र विभाग प्रभारी डॉ. गोविन्द कुमार सुमन, रीतेश कुमार तथा शिवम. शुभांग, रामकुमार, विनीता, निकिता, उपासना आदि सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे.











Tuesday 31 May 2022

तम्बाकू सेवन का दुष्प्रभाव : आजादी का अमृत महोत्सव

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 31.05.2022  को गांधी महाविद्यालय, उरई में तम्बाकू निरोधक दिवस के अवसर पर ‘तम्बाकू सेवन का दुष्परिणाम विषय पर एक ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया.


गोष्ठी में हिन्दी शोधार्थी धर्मेन्द्र कुमार ने बच्चों को तम्बाकू सेवन के प्रति सचेत करते हुए बताया कि यह एक तरह का धीमा जहर है जो हमारे शरीर में धीरे-धीरे कैंसर को जन्म देता है. देश में कैंसर से होने वाली मौतों में से सबसे अधिक मौतें तम्बाकू सेवन के कारण हो रही हैं. तम्बाकू सेवन से आशय केवल चबाने वाले तम्बाकू उत्पाद से नहीं है बल्कि वे तमाम सारे उत्पाद जिनमें किसी भी रूप में तम्बाकू का उपयोग होता है, वे सभी हानिकारक हैं. आज स्थिति यह है कि कम आयु के बच्चे भी तम्बाकू सेवन में लिप्त देखे जा रहे हैं. सिगरेट पीना, पान मसाला का सेवन आज विद्यार्थी वर्ग के बीच स्टेटस सिम्बल की तरह से जगह बनाने लगा है. इन सबसे न केवल विद्यार्थियों को बचना है बल्कि सभी नागरिकों को इससे बचने की आवश्यकता है.


अमृत महोत्सव कार्यक्रम संयोजक डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि तम्बाकू उत्पाद हों या फिर नशीले पदार्थ, कम आयु के बच्चे या विद्यार्थी इसे महज आकर्षण के कारण लेना शुरू कर देते हैं. धीरे-धीरे वे इसकी आदत का शिकार हो जाते हैं. यह एक तरह की बहानेबाजी होती है कि अब तम्बाकू सेवन आदत बन गई है, छूटेगी नहीं. आत्मविश्वास प्रबल हो तो सभी बुराइयों से दूर हुआ जा सकता है. आज सभी विद्यार्थी प्रण करें कि वे तम्बाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेंगे और अपने-अपने घरों में उन सदस्यों से भी इसे छोड़ने को कहेंगे जो इसका सेवन करते होंगे.


गोष्ठी में संगीता, माला, सृष्टि, अभिषेक, बिपिन आदि सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे.







Saturday 28 May 2022

वीर सावरकर जयंती पर गोष्ठी : आजादी का अमृत महोत्सव

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 28.05.2022  को गांधी महाविद्यालय, उरई में विनायक दामोदर सावरकर जयंती पर क्रांतिकारी आन्दोलन के विकास में वीर सावरकर का योगदान विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया.


गोष्ठी में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मोनू कुमार मिश्रा और धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने वीर सावरकर के जीवन और उनके कार्यों पर प्रकाश डाला. डॉ. मोनू कुमार मिश्रा ने बताया कि किस तरह वीर सावरकर को दो बार काला पानी की सजा सुनाई गई. भारतीय क्रांति के इतिहास में यह एकमात्र उदाहरण है जहाँ किसी क्रांतिकारी को दो बार काला पानी की सजा सुनाई गई हो. एक बार वे और उनके भाई एकसाथ इस सजा को काट रहे थे मगर महीनों तक दोनों में से किसी को इसकी जानकारी नहीं हुई.


धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि काला पानी की कठिन सजा के दौरान वे टूटे नहीं और लगातार कोशिश करते रहे कि कैसे भी हो देश को आजादी मिले. वीर सावरकर के ही सुझाव पर हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे कि सफ़ेद पट्टी में अशोक चक्र बनाया गया है. ऐसे वीरों के बलिदानों के चलते हुई आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं.


गोष्ठी में हिन्दी विभाग की डॉ. सुनीता गुप्ता, संस्कृत विभाग की डॉ. ममता अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे.