उत्तर प्रदेश
सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ
एवं दिवस मनाये जाने के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आज दिनांक 28.05.2022 को गांधी महाविद्यालय, उरई में विनायक दामोदर सावरकर जयंती पर क्रांतिकारी
आन्दोलन के विकास में वीर सावरकर का योगदान विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया.
गोष्ठी में
राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मोनू कुमार मिश्रा और
धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने वीर सावरकर के जीवन और उनके कार्यों पर प्रकाश डाला.
डॉ. मोनू कुमार मिश्रा ने बताया कि किस तरह वीर सावरकर को दो बार काला पानी की सजा
सुनाई गई. भारतीय क्रांति के इतिहास में यह एकमात्र उदाहरण है जहाँ किसी
क्रांतिकारी को दो बार काला पानी की सजा सुनाई गई हो. एक बार वे और उनके भाई एकसाथ
इस सजा को काट रहे थे मगर महीनों तक दोनों में से किसी को इसकी जानकारी नहीं हुई.
धर्मेन्द्र
कुमार वर्मा ने बताया कि काला पानी की कठिन सजा के दौरान वे टूटे नहीं और लगातार
कोशिश करते रहे कि कैसे भी हो देश को आजादी मिले. वीर सावरकर के ही सुझाव पर हमारे
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे कि सफ़ेद पट्टी में अशोक चक्र बनाया गया है. ऐसे वीरों के
बलिदानों के चलते हुई आज हम खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं.
गोष्ठी में
हिन्दी विभाग की डॉ. सुनीता गुप्ता, संस्कृत विभाग की
डॉ. ममता अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ. कुमारेन्द्र सिंह
सेंगर सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे.
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